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कृषि विज्ञान तथा इंजीनियरी में रोजगार

 

भारत विश्व के प्रमुख कृषि प्रधान देशों में से एक है और इसकी संपत्ति के सबसे बड़े स्रोतों में से सर्वाधिक महत्वपूर्ण है-भूमि की पैदावार। देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है। इसका योगदान सकल घरेलू उत्पाद का 29.4% है। इससे करीब 64% कार्यबल जुड़ा है। खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में वर्ष दर वर्ष कृषि उत्पादन में महत्वपूर्ण प्रगति दर्ज् की गई है। कृषि विज्ञान-आधारित, उच्च-प्रौद्योगिकीय क्षेत्र है तथा इससे संबंधित रोजगार की व्यापक संभावनाएं हैं। ये हैं : पशु और पादप शोधकर्ता, खाद्य वैज्ञानिक, वस्तु ब्रोकर, पोषणविद, कृषि पत्रकार, बैंकर्स, बाजार विश्लेषक, बिक्री व्यावसायिक, खाद्य संसाधक, वन प्रबंधक, वन्यजीव विशेषज्ञ आदि। कृषि अनुसंधान और शिक्षा कृषि विश्वविद्यालयों, संस्थानों तथा कृषि शिक्षा और पशुचिकित्सा विज्ञान महाविद्यालयों द्वारा संचालित की जाती है।

कृषि विज्ञान एक व्यापक बहुविषयक क्षेत्र है, जिसमें प्राकृतिक, आर्थिक और सामाजिक विज्ञान हिस्से हैं, जिन्हें कृषि के व्यवहार तथा इसे समझने के लिए प्रयोग किया जाता है। इस क्षेत्र में निम्नलिखित पर अनुसंधान एवं विकास कार्य किए जाते हैं:- उत्पादन तकनीकें (जैसे कि, सिंचाई प्रबंधन, अनुशंसित नाइट्रोजन इनपुट्स) गुणवत्ता और मात्रा की दृष्टि से कृषि उत्पादन में सुधार (जैसे कि सूखा झेलने वाली फसलों तथा पशुओं का चयन, नए कीटनाशकों का विकास, खेती-संवेदन प्रौद्योगिकियां, फसल वृद्वि के सिमुलेशन मॉडल, इन-वाइट्रो सैल कल्चर तकनीकें) प्राथमिक उत्पादों का अंतिम-उपभोक्ता उत्पादों में परिवर्तन (जैसे कि डेरी उत्पादों का उत्पादन, संरक्षण और पैकेजिंग) विपरीत पर्यावरणीय प्रभावों की रोकथाम तथा सुधार (जैसे कि मृदा निम्नीकरण, कचड़ा प्रबंधन, जैव-पुनः उपचार) सैद्वान्तिक उत्पादन पारिस्थितिकी, फसल उत्पादन मॉडलिंग से संबंधित परंपरागत कृषि प्रणालियां, कई बार इसे जीविका कृषि भी कहा जाता है, जो विश्व के सर्वाधिक गरीब लोगों का भरण-पोषण करती है। ये परंपरागत पद्वतियां काफी रुचिकर हैं क्योंकि कई बार ये औद्योगिक कृषि की बजाए ज्यादा प्राकृतिक पारिस्थितिकी व्यवस्था के साथ समाकलन का स्तर कायम रखती हैं जो कि कुछ आधुनिक कृषि प्रणालियों की अपेक्षा ज्यादा दीर्घकालिक होती हैं।
कार्य की प्रकृति - राष्ट्र की कृषि उत्पादकता को बढ़ाने तथा कायम रखने में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किए गए कार्यों की महत्वपूर्ण भूमिका है। कृषि वैज्ञानिक खेती-फसलों तथा पशुओं पर अध्ययन करते हैं तथा उनकी मात्रा तथा गुणवत्ता में सुधार के लिए मार्ग तैयार करते हैं। वे कम श्रम के साथ फसलों की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार, कीट तथा खरपतवारों पर सुरक्षित और प्रभावी तरीके से नियंत्रण और मृदा तथा जल संरक्षण में सुधार के उपायों के सुझाव देते हैं। वे कच्चे कृषि माल को उपभोक्ताओं के लिए आकर्षक तथा स्वास्थ्यकर खाद्य उत्पादों में परिवर्तित करने की पद्वतियों से जुड़े अनुसंधान कार्य करते हैं।
कृषि विज्ञान का जैविकीय विज्ञान से निकट का संबंध् है, तथा कृषि वैज्ञानिक कृषि से जुड़ी समस्याओं को हल करने में जीवविज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिकी, गणित और अन्य विज्ञानों के सिद्वान्तों का प्रयोग करते हैं। वे मौलिक जैविकीय अनुसंधानों तथा जैव-प्रौद्योगिकी के जरिए प्राप्त ज्ञान को कृषि की उन्नति के लिए लागू करने के वास्ते अक्सर जैविक वैज्ञानिकों के साथ मिलकर कार्य करते हैं।
कई कृषि वैज्ञानिक मौलिक या अनुप्रयुक्त अनुसंधान तथा विकास के क्षेत्र में कार्य करते हैं। अन्य अनुसंधान और विकास कार्यों का प्रबंधन तथा संचालन करते हैं अथवा उन कम्पनियों में विपणन
या उत्पादन कार्यों का प्रबंधन करते हैं जो खाद्य उत्पादों या कृषि रसायनों के उत्पादन, आपूर्ति तथा मशीनरी से जुड़ी हैं। कुछेक कृषि वैज्ञानिक बिजनेस फर्मों, निजी ग्राहकों या सरकार के परामर्शदाता
के तौर पर कार्य करते हैं।
कृषि वैज्ञानिकों के विशेषज्ञता के क्षेत्र के अनुरूप उनके द्वारा किए जाने वाले कार्यों की प्रकृति में भिन्नता रहती है।
खाद्य विज्ञान : खाद्य वैज्ञानिक या प्रौद्योगिकीविद सामान्यतः खाद्य संसाधन उद्योग, विश्वविद्यालयों या संघीय सरकार में नियुक्त किए जाते हैं। वे स्वास्थ्यपरक, सुरक्षित और सुविधाजनक खाद्य उत्पादों की उपभोक्ताओं की मांग को पूरा करने में मदद करते हैं।
पादप विज्ञान : पादप विज्ञान में कृषि विज्ञान, फसल विज्ञान, कीट-विज्ञान तथा पादप प्रजनन को शामिल किया गया है।
मृदा विज्ञान : इसके अंतर्गत काम करने वाले व्यक्ति पौधें या फसल विकास से जुड़ी मिट्टी के रासायनिक, भौतिकीय, जैविकीय तथा खनिजकीय संयोजन का अध्ययन करते हैं। वे उर्वरकों,
जुताई के तरीकों और पफसल चक्रक्रम को लेकर विभिन्न प्रकार की मिट्टी के प्रत्युत्तरों का अध्ययन करते हैं।
पशुविज्ञान : पशु वैज्ञानिकों का कार्य है मांस, कुक्कुट, अण्डों तथा दूध् के उत्पादन तथा प्रोसेसिंग के बेहतर और अधिक कारगर तरीकों का विकास करना। डेयरी वैज्ञानिक, पशु प्रजनक तथा अन्य
संबद्व वैज्ञानिक घरेलू फार्म पशुओं के आनुवंशिकी, पोषण, प्रजनन, विकास तथा उत्पादन से जुड़े अध्ययन करते हैं।
प्रशिक्षण, अन्य योग्यताएं तथा प्रगति :
कृषि वैज्ञानिकों के प्रशिक्षण की अपेक्षाएं उनके विशेषज्ञता क्षेत्र तथा किए जाने वाले कार्यों की प्रकृति पर निर्भर करती है। अनुप्रयुक्त अनुसंधान के लिए या मौलिक अनुसंधान में सहायता के लिए
कृषि विज्ञानों में बैचलर डिग्री पर्याप्त होती है लेकिन मौलिक अनुसंधान के वास्ते मास्टर्स या डॉक्टरल डिग्री अपेक्षित होती है। कॉलेज शिक्षण और प्रशासनिक अनुसंधान पदों में प्रगति के लिए
सामान्यतः कृषि विज्ञान में पी-एच.डी. डिग्री अपेक्षित होती है।
कृषि विज्ञान में बी.. करने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए मौलिक पात्रता मानदंड भौतिकी, रसायन शास्त्र, गणित और वरीयतन जीव-विज्ञान विषयों के साथ 10+2 है। एक सुयोग्य कृषि इंजीनियर
बनने के लिए किसी के भी पास कृषि इंजीनियरी में स्नातक डिग्री (बी../बी.टेक) या कम से कम डिप्लोमा होना चाहिए।
अनुसंधान के क्षेत्रों में कोई भी व्यक्ति कृषि अनुसंधान वैज्ञानिक (एआरएस) बन सकता है। इन पदों पर भर्ती संयुक्त प्रवेश परीक्षा के जरिए की जाती है। एआरएस नेट पी-एच.डी. उत्तीर्ण करने
वाले उम्मीदवारों को लेक्चरशिप तथा स्कॉलरशिप प्रदान करने हेतु आयोजित की जाती है।
दूसरा विकल्प कृषि विकास अधिकारी (एडीओ) बनने का है, जो पद खण्ड विकास अधिकारी के समकक्ष होता है। इन पदों पर भर्ती प्रवेश परीक्षा के आधार पर की जाती है।
तीसरे आपके पास निजी क्षेत्र के संगठनों में अनुसंधान वैज्ञानिक के पद पर आवेदन करने का विकल्प होता है। वहां पर आपकी सेवाएं निजी प्रयोगशालाओं में भी इस्तेमाल की जा सकती हैं। इस उद्देश्य
के लिए अपेक्षित योग्यता डॉक्टरल स्तर की अर्थात्‌ पी-एच.डी. है।
इसके अलावा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), नई दिल्ली द्वारा कृषि, जैव-प्रौद्योगिकी और आनुवंशिकी में अनुसंधान से संबंधित वैज्ञानिक और तकनीकी पदों के लिए बड़ी संख्या में रिक्तियां विज्ञापित की जाती हैं। (जैसे कि वैज्ञानिक-III, वैज्ञानिक-II और वैज्ञानिक-I, फार्म तकनीशियन (Xवीं श्रेणी के उपरांत), प्रयोगशाला तकनीशियन और वर्कशॉप स्टाफ।
बी.एससी. करने के उपरांत आप बैंकों, वित्त और बीमा कम्पनियों की नौकरियों के लिए आवेदन करने के पात्र हैं। भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और राष्ट्रीयकृत बैंक कृषि तथा संबद्व क्षेत्रों में स्नातकोत्तरों के लिए फील्ड अधिकारिओं, ग्रामीण विकास अधिकारिओं तथा कृषि और परिवीक्षा अधिकारिओं के पदों पर नियुक्ति हेतु विज्ञापन जारी करते हैं। इनके अलावा फार्म प्रबंधन,
भूमि मूल्यांकन, ग्रेडिंग, पैकेजिंग तथा लेबलिंग के क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर उपलब्ध् हैं। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र, दोनों में भी विपणन और बिक्री, परिवहन, फार्म उपयोगिता, भण्डारण आदि के क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध् कराया जाता है।
कृषि विज्ञान में पाठ्यक्रम संचालित करने वाले संस्थान :
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय :
कृषि केंद्र, अलीगढ़-202002 (.प्र.) : संचालित पाठ्यक्रम : (1) 2 वर्षीय एमएससी (कृषि), पादप संरक्षण. पात्रता : 55% अंकों के साथ जूलॉजी, वनस्पति विज्ञान और रसायन विज्ञान/ जैव-रसायन विज्ञान में बी.एससी. या बी.एससी. (कृषि), (ii) एम.टेक (कृषि) (पोस्ट हार्वेस्ट इंजी. एवं टेक.)
चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय (.प्र.)
इसके संबद्व कॉलेजों में संचालित किए जाने वाले बी.एससी. (कृषि) तथा एम.एससी. (कृषि) पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए जून माह में संयुक्त प्रवेश परीक्षा का आयोजन करता है।
पात्रता : () बी.एससी. (कृषि) पाठ्यक्रम के लिए : कृषि के साथ इंटरमीडिएट या विज्ञान (जीव-विज्ञान समूह) के साथ इंटरमीडिएट. () एम.एससी. (कृषि) पाठ्यक्रम के लिएः बी.एससी. (कृषि)
डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ :
कृषि इंजीनियरी संकाय, डाकघर कृषि नगर, अकोला-444104 दो वर्षीय एम.टेक (कृषि इंजी.) और एम.एससी. (कृषि) पाठ्यक्रम संचालित करता है। पात्रता : बी.एससी. (कृषि इंजीनियरी)/10 प्वाइंट स्केल में 5.5 सीजीपीए के साथ बी.टेक. (कृषि इंजी.)
गुजरात कृषि विश्वविद्यालय :
कृषि संकाय, सरदार कृषि नगर-385506, जिला बनासकांठा (गुजरात). संचालित पाठ्यक्रमः (1) 2-वर्षीय एम.एससी. (कृषि)
पात्रता : कुल मिलाकर या उस विषय में, जिसमें प्रवेश चाह रहे हैं, 6.00/10 ओपीजीए के साथ बी.एससी. (कृषि) या समकक्ष. (ii) एम.टेक. (कृषि इंजी.) पाठ्यक्रम पात्रता :
बी.टेक. (कृषि इंजी.)
इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय :
कृषक नगर, रायपुर-492006 (छत्तीसगढ़), निम्नलिखित विषय क्षेत्रों में एम.एससी. (कृषि) पाठ्यक्रम संचालित करता है :- (1) कृषि विज्ञान (2) मृदा विज्ञान (3) कृषि विस्तार
(4)
बागवानी (5) कीट-विज्ञान (6) पादप पैथोलॉजी (7) कृषि सांख्यिकी (8) पादप प्रजनन एवं आनुवंशिकी (9) कृषि अर्थशास्त्र (10) पादप शरीर क्रिया विज्ञान (11) एग्रोमीटियरोलॉजी (12) जैव-प्रौद्योगिकी, पात्रता : 10 प्वाइंट स्केल में 6.00 .जी.पीए. . या अंक परीक्षा प्रणाली में 55% अंकों या समकक्ष ग्रेडों के साथ अच्छे अकादमिक रिकॉर्ड सहित मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से 10+2+4 प्रणाली के अंतर्गत बी.एससी. (कृषि)। उपर्युक्त के अतिरिक्त वानिकी/बागवानी/डेयरी प्रौद्योगिकी/वेटरिनॅरि में बैचलर डिग्री धारी, जिन्होंने 10 प्वाइंट स्केल के ओजीपीए में 6.00 या अंक-प्रणाली की परीक्षा में 55% अंक या समकक्ष ग्रेड हासिल किया है, एम.एससी. (कृषि) जैव-प्रौद्योगिकी के लिए पात्र हैं। एम.एससी. (वानिकी), एम.एफ. एससी. (मात्स्यिकी) एम.टेक (कृषि इंजीनियरी) पाठ्यक्रम भी संचालित किए जाते हैं।
जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय :
कृषि इंजीनियरी संकाय, कृषि नगर, अगरतला, जबलपुर-482004 ;.प्र.द्ध निम्नलिखित कार्यक्रम संचालित करता है : (1) 2-वर्षीय एम.टेक (कृषि इंजी.), पात्रता : 55% अंकों के साथ बी.एससी. (कृषि इंजी.) (ii) 2- वर्षीय एम.एससी. (कृषि), पात्रता : कुल 55% अंकों के साथ बी.एससी. (कृषि)
केरल कृषि विश्वविद्यालय :
कृषि संकाय, वेल्लानिकाड़ा, त्रिशूर-680654 (केरल) (-मेल : kauhqr@ren.nic.in) दो-वर्षीय एम.टेक (कृषि इंजी.) तथा एम. एससी. (कृषि) पाठ्यक्रम संचालित करता है। पात्रता : (एम.टेक कृषि इंजी.), 52.8% अंकों के साथ बी.टेक (कृषि इंजी.), निम्नलिखित शाखाओं के लिए प्रावधन है :- फार्म पावर मशीनरी तथा मृदा एवं जल इंजीनियरी। पात्रता : (एम.एससी. कृषि हेतु) : 52.8%
अंकों के साथ बी.एससी
महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ :
कृषि इंजीनियरी संकाय, राहुड़ी, जिला अहमदनगर-413722 (महाराष्ट्र) (फोनः 43216, फैक्स 02426-43302) 2-वर्षीय एम.टेक (कृषि इंजी.) संचालित करता है।
पात्रता : 0-10 प्वाइंट ग्रेडेशन में 5.50 क्रेडिट प्वाइंट्स सीजीपीए के साथ बी.टेक (कृषि इंजी.)
उड़ीसा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्व-विद्यालय
कृषि संकाय, भुवनेश्वर, खुर्दा-751003 (उड़ीसा) 2-वर्षीय एम.एससी. (कृषि) पाठ्यक्रम संचालित करता है। पात्रता : संबंधित विषय में 2.50 ओजीपीए (4 प्वाइंट स्केल) तथा 3.00 जीपीए (4 प्वाइंट स्केल)
के साथ या संबद्व विषय में 5.50 ओजीपीए (10 प्वाइंट स्केल) तथा 6.00 जीपीए के साथ बी.एससी. (कृषि)। जिन्होंने परम्परागत परीक्षाएं उत्तीर्ण की हैं उन्होंने बी.एससी. (कृषि) में 45% अंक और संबद्व विषय में 50% अंक अवश्य अर्जित किए हों। 2-वर्षीय एम.टेक (कृषि इंजी. एवं टेक.) कार्यक्रम भी संचालित किया जाता है।
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय :
कृषि संकाय, लुधियाना-141004 (पंजाब)- 2 वर्षीय एम.एससी. (कृषि) कार्यक्रम संचालित करता है। पात्रता : बी.एससी. (कृषि) में 6.00 (10.00 में से) ओसीपीए या 60% कुल अंक। इसमें शिक्षण/विस्तार/अनुसंधान में पांच वर्ष के अनुभव रखने वाले सेवारत उम्मीदवारों के मामले में छूट दी जा सकती है। जिन्होंने बी.एससी. (शुद्व विज्ञान) उत्तीर्ण की है, वे पात्र नहीं हैं। निम्नलिखित शाखाओं का प्रावधान है; पशु प्रजनन; पशु पोषण; पशु उत्पादन; शरीरक्रिया विज्ञान; पशुधन उत्पादन एवं प्रबंधन; फल-कृषि विज्ञान; पादप प्रजनन; बागवानी (फलकृषि); मृदा विज्ञान; विस्तार
शिक्षा; पादप पैथोलॉजी; कीट विज्ञान; खाद्य प्रौद्योगिकी; भू-दृश्य विज्ञान एवं फूलों की खेती; कृषि मौसम विज्ञान; सब्जी फसल वानिकी; गोलकृमि विज्ञान।
2-
वर्ष का एम.एससी. (कृषि मौसम विज्ञान) पाठ्यक्रम भी संचालित किया जाता है। पात्रता : जिन्होंने 6.00 ओसीपीए (10.00 में से) या 60% अंकों के साथ बी.एससी. उत्तीर्ण की है, पात्र हैं।
राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय :
कृषि संकाय, बीकानेर-334002 (राज.), निम्नलिखित पाठ्यक्रम संचालित करता है : (1) 2-वर्षीय एम.एससी. (कृषि), पात्रता : बी.एससी. (कृषि) आनर्स प्रवेश परीक्षा के आधर पर प्रवेश (ii) 2-वर्षीय एम.. (कृषि. इंजी.), पात्रता : कुल 55% अंकों या 2.5/4.0 ओजीपीए स्केल के साथ बी.. (कृषि/मैके./सिविल)। निम्नलिखित विषय क्षेत्रों में प्रावधान है :फार्म मशीनरी एवं ऊर्जा
इंजी. नवीकरणीय ऊर्जा प्रणाली, मृदा एवं जल संरक्षण, सिंचाई एवं जल संरक्षण तथा प्रबंधन, संसाधन तथा खाद्य इंजीनियरी।
राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय :
कृषि संकाय, डाकघर पूसा, समस्तीपुर- 848125 (फोन) 74226, 74239, फैक्स 0612-225364 (पटना) 2 वर्षीय एम. एससी. (कृषि) पाठ्यक्रम संचालित करता है। पात्रता : संबद्व विषय में कुल 60% अंकों या 10 में से 6.000 ओजीपीए तथा 65% अंकों या 6.500 ओजीपीए के साथ बैचलर डिग्री। निम्नलिखित विशेषज्ञता क्षेत्रों का प्रावधान है- सस्य विज्ञान, कृषि अर्थ-शास्त्र, कीट-विज्ञान,
विस्तार शिक्षा, बागवानी, पादप प्रजनन, पादप पैथोलॉजी, मृदा विज्ञान। 2-वर्षीय एम.टेक (कृषि इंजी.) पाठ्यक्रम भी संचालित किया जाता है। पात्रता : संबद्व विषय में 60% अंकों या 10.00 में से 6.00 ओजीपीए या 10.00 में से 6.50 ओजीपीए के साथ बी.टेक. (कृषि इंजी.)
तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय
कोयम्बत्तूर-641003 (तमिलनाडु) फोन : 431222, 431821, फैक्स : 0422-431672, -मेल : (tnau/coimbatore@dartmail.darnet.com) निम्नलिखित विषयों में मास्टर
कार्यक्रम संचालित करता है :- कृषि अर्थशास्त्र, कृषि कीट विज्ञान, कृषि विस्तार, कृषि सूक्ष्मजीवविज्ञान, कृषि विज्ञान, फसल फिजियोलोजी, पादप प्रजनन तथा आनुवंशिकी, पादप कीट विज्ञान, पादप पैथोलॉजी, बीज विज्ञान प्रौद्योगिकी, मृदा विज्ञान तथा कृषि रसायन विज्ञान।
उद्यमशीलता उन्मुख एक वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम :
(1)
मशरूम उत्पादन और संसाधन (2) जैव-कीटनाशक उत्पादन प्रौद्योगिकी (3) जैव-उर्वरक
(4)
टिश्यू कल्चर पौधें की उत्पादन प्रौद्योगिकी (5) बागवानी फसलों का कटाई उपरांत प्रबंधन (6) कृषि आधरित मशीनरी के लिए विनिर्माण प्रौद्योगिकी। पात्रता : सूचना विवरणिका में दिए अनुसार
संबंद्व संकायों तथा सहयोगी संकायों में फार्म विज्ञान डिग्री। पीजी डिप्लोमा हेतु पात्रता : क्रम सं. 1 से 4 तक के लिए : बी.एससी. कृषि/बी.एससी. बागवानी/बी.एससी. वानिकी : क्रम सं. 5 हेतु : बी.एससी. कृषि/बी.एससीबागवानी/बी.टेक फूड प्रोसेसिंग इंजीनियरिंग : क्रम सं. 6 के लिए : बी.. कृषि। जिन उम्मीदवारों ने न्यूनतम 3.00/4.00/7.00/10.00 ओजीपीए या 70% कुल अंक अर्जित किए हैं, वे विभिन्न मास्टर्स, पीजी डिप्लोमा कार्यक्रमों के लिए आवेदन के पात्र हैं। लेकिन अजा/अजजा उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम उत्तीर्णता पर्याप्त है। अधिसूचना : अप्रैल में, अंतिम तिथि : मई
कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, बंगलौर :
गाँधी कृषि विज्ञान केंद्र, बंगलौर-560065 (कर्नाटक) (फोन : 3330153, फैक्स : 080-3330277) निम्नलिखित पाठ्यक्रम संचालित करता है :
(i) 2-
वर्षीय एम.एससी. (कृषि जैव-रसायन विज्ञान)/एम.एससी (कृषि सांख्यिकी)/एम. एससी. (कृषि सूक्ष्मजीव विज्ञान). पात्रता : (कृषि सूक्ष्म जीव विज्ञान हेतु) : कुल मिलाकर
पाठ्यक्रम में कम से कम 50% अंकों के साथ कृषि, बागवानी, वानिकी में बैचलर डिग्री, पात्रता :
(
कृषि जैव-रसायन विज्ञान) एम. एससी. (कृषि सांख्यिकी) : कृषि, वेटरिनॅरि, मात्स्यिकी, बागवानी, सेरीकल्चर, वानिकी, गृह विज्ञान, कृषि (विपणन तथा सहकारिता) (केवल सांख्यिकी के लिए)-2.25 सीजीपीए/4.00/अपेक्षित अंक-प्रतिशतता के साथ।
(ii) 2-
वर्षीय एम.एससी. (कृषि)। पात्रता : अपेक्षित अंक-प्रतिशतता के साथ उपयुक्त शाखा में बैचलर डिग्री। निम्नलिखित पाठ्यक्रमों का प्रावधान है : कृषि अर्थशास्त्र; कृषि कीट-विज्ञान; कृषि विस्तार; कृषि सूक्ष्मजीव विज्ञान; कृषि विज्ञान; फसल फिजियोलोजी; खाद्य एवं पोषण; बागवानी; पादप प्रजनन एवं अनुवांशिकी, पादप पैथोलॉजी; बीज प्रौद्योगिकी; रेशम उत्पादन, मृदा विज्ञान; मृदा एवं जल संरक्षण इंजी. (iii) 2-वर्षीय एम.एससी. (कृषि इंजी.) पात्रता : कृषि इंजी./बागवानी/कृषि/वानिकी में अपेक्षित अंक-प्रतिशतता के साथ बैचलर डिग्री।
 

 
 
     
     
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